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'गुलामगिरी' का प्रकाशन 1 जून, 1873 ई. को हुआ था। यह पुस्तक मूलत: मराठी में लिखी गई थी। एक इंसान द्वारा दूसरे इंसान के साथ गुलामों की तरह व्यवहार करना सभ्यता के सबसे शर्मनाक अध्यायों में से एक है। लेकिन अफसोस कि यह शर्मनाक अध्याय दुनियाभर की लगभग सभी सभ्यताओं के इतिहास में दर्ज है। यूरोप में जहां गुलामों-दासों की खरीद-फरोख्त का शर्मनाक इतिहास रहा है, वहीं भारत में जाति प्रथा के कारण पैदा हुआ जबरदस्त इंसान भेद आज तक बना हुआ है। ‘गुलामगिरी’ इसी भेद-भाव की बुनियाद पर चोट करने वाली किताब है।
"जिस दिन किसी व्यक्ति को दास बना लिया जाता है, उसी दिन से उसके आधे सद्गुण गायब हो जाते है। " - होमर
“Falling out of love with someone you still like feels exactly like lying in a warm bed and hearing the alarm clock.
A series of spiritual exercises filled with wisdom, practical guidance, and profound understanding of human behavior
“There's a fine line between love and hate" "There's also a fine line between sanity and insanity"
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